Cibil Score को लेकर RBI ने बनाया नया नियम, ग्राहकों की हुई बल्ले-बल्ले, इस महीने होगा लागू

RBI new rule on Civil Score: भारत की केंद्रीय बैंक ने सिबिल स्कोर को लेकर नया नियम बनाया है। सिबिल स्कोर की जरूरत तब पड़ती है जब बैंक से या किसी एनबीएफसी से लोन लेने के लिए या फिर बैंक जब आपको क्रेडिट कार्ड इशू करता है तो सिविल स्कोर को देखा जाता है।

कई बार ऐसा होता है कि किसी कारण से कोई व्यक्ति बैंक का लोन समय से नहीं चुका पाता है तो धीरे-धीरे उसका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है। कई बार ग्राहकों को इसको लेकर कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसे में जब व्यक्ति कोई नया लोन लेने जाता है तो उसे लोन नहीं दिया जाता है और यह कह दिया जाता है कि उनका सिबिल स्कोर खराब है।

इसी को लेकर अब आरबीआई ने नया नियम बनाया है। आरबीआई ने 5 नए नियम बनाए हैं जिससे ग्राहकों को बहुत ही फायदा होने वाला है। आईए जानते हैं उन पांच नियमों के बारे में, इसके लागू होने के बाद ग्राहकों का सिबिल स्कोर बेहतर हो सकता है।

बता दें कि हाल के दिनों में रिजर्व बैंक आफ इंडिया को सिबिल स्कोर को लेकर कई सारी शिकायतें मिल रही थी इसके बाद केंद्रीय बैंक ने नियमों को और सख्त कर दिया है। इन नियमों के तहत क्रेडिट ब्यूरो वेबसाइट पर क्रेडिट स्कोर खराब होने की वजह भी बतानी होगी। इसके अलावा भी रिजर्व बैंक आफ इंडिया की तरफ से नियम जारी किया गया है जो 26 अप्रैल 2024 से लागू हो जाएंगे।

ग्राहकों को देनी होगी सिबिल स्कोर चेक होने की जानकारी

कई बार आपने देखा होगा कि आपकी बिना जानकारी के ही आपका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है और फिर बार-बार सिबिल स्कोर चेक होने से आपका सिविल खराब हो जाता है। रिजर्व बैंक ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों से कहा है कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी किसी ग्राहक का क्रेडिट रिपोर्ट चेक करेगा तो उसे ग्राहक को जानकारी देना जरूरी होगा। इसकी जानकारी कंपनियां एसएमएस या ईमेल के माध्यम से देगी। लगातार आ रही शिकायतों के बाद रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने इसपर अपना फैसला दिया है।

रिक्वेस्ट रिजेक्ट होने की बतानी होगी वजह

यदि आप किसी बैंक में क्रेडिट कार्ड के लिए या लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो कई बार बैंक द्वारा इसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। जब आप रिजेक्शन को लेकर जानकारी मांगते हैं तो बैंक द्वारा किसी भी प्रकार की जानकारी ग्राहकों को नहीं दी जाती है। अब इसको लेकर भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने नियम बनाया है कि यदि किसी ग्राहक का रिक्वेस्ट किसी वजह से रिजेक्ट होता है तो बैंक को या एनबीएफसी कंपनियों को इसकी वजह बतानी होगी।

इससे ग्राहकों को यह समझने में आसानी होगी कि उनका एप्लीकेशन किस वजह से रिजेक्ट किया गया है। इसके अलावा रिजेक्ट किए जाने की वजह की एक लिस्ट बनाकर सभी क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस को भेजना जरूरी है।

साल में एक बार देनी होगी फुल फ्री क्रेडिट रिपोर्ट

केंद्रीय बैंक ने सभी क्रेडिट कंपनियों को और बैंकों को कहा है कि ग्राहकों को साल में एक बार फूल क्रेडिट रिपोर्ट मुहैया कराया जाना चाहिए। इसके लिए क्रेडिट कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक डिस्प्ले करना होगा ताकि ग्राहक आसानी से अपनी फ्री फुल क्रेडिट रिपोर्ट चेक कर सकें। इससे ग्राहकों को अपने क्रेडिट रिपोर्ट की जानकारी विस्तृत रूप से मिल पाएगी।

डिफॉल्ट रिपोर्ट करने से ग्राहकों को बताना जरूरी

रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार यदि कोई ग्राहक डिफॉल्ट होने वाला है तो डिफॉल्ट की रिपोर्ट करने से पहले ग्राहकों को बताना जरूरी है। लोन देने वाली संस्थाएं एसएमएस के माध्यम से या ईमेल भेजकर ग्राहकों को इसकी जानकारी देंगे। इसके अलावा बैंक तथा लोन बांटने वाली कंपनियों को अपने यहां एक नोडल ऑफिसर भी रखना होगा जो ग्राहकों की सिबिल स्कोर से जुड़ी शिकायतों और दिक्कतों को दूर करने का काम करेगा।

30 दिनों में निपटारा वरना रोज जुर्माना

लोगों की तरफ से मिल रही शिकायतों पर सख्त रुख अपनाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को और बैंकों को ग्राहकों की शिकायतों को एक नियत समय में निपटने को कहा है।

केंद्रीय बैंक ने क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को ग्राहकों की शिकायतों को 30 दिनों के अंदर निपटने को कहा है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने कहा है कि यदि क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियां और बैंक 30 दिनों के अंदर ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा नहीं करती है तो उसे हर दिन ₹100 के हिसाब से जुर्माना चुकाना होगा।

आरबीआई के इस नियम के बाद क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों द्वारा ग्राहकों की शिकायतों को 30 दिनों के अंदर नहीं निपटने पर उन्हें 30 दिनों के बाद प्रतिदिन ₹100 के हिसाब से जुर्माना भरना होगा। दूसरी तरफ लोन बांटने वाली कंपनियों को 21 दिन और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय मिलेगा। 21 दिन में बैंक ने क्रेडिट ब्यूरो को नहीं बताया तो बैंक को जुर्माना देना पड़ेगा। वहीं बैंक की सूचना के 9 दिन बाद भी शिकायत दूर नहीं किया गया तो क्रेडिट ब्यूरो को हर्जाना देना पड़ेगा।

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